बोडोलैंड के लिए सशस्त्र आंदोलनों का दंश झेल चुके असम में शांति की नई पहल का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीरी उग्रवादियों, पूर्वाेत्तर के प्रतिबंधित संगठनों और नक्सलियों से हथियार छोडऩे और राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने एवं जीवन का जश्न मनाने की अपील की है। प्रधानमंत्री मोदी ने बोडो शांति समझौते पर गत 27 जनवरी को हुए समझौते का जश्न मनाने के लिए असम के कोकराझार में शुक्रवार को आयोजित विशाल जनसभा में कहा कि यह समझौता असम में शांति की नई सुबह लेकर आया है। नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनों के चलते दो बार असम दौरा टलने के बाद प्रधानमंत्री की इस यात्रा का कार्यक्रम बन पाया है। मोदी ने कहा कि पहले किसी ने पूर्वाेत्तर के लोगों की समस्या का समाधान नहीं किया और अशांति बने रहने दी। उन्होंने कहा, 'इस रुख ने पूर्वोत्तर के लोगों को केंद्र से अलग-थलग रखा और भारतीय लोकतंत्र एवं संविधान में उनका विश्वास खत्म हो गया। बोडो समझौते से नई उम्मीदों, नए सपनों और नए हौसले का संचार हुआ है।''